सदियों से चली आ रहीं शमी पूजन की परंपरा
अनिरुद्ध प्रताप सिंह दशहरे पर पहली बार करेंगे राजपूत सरदारों का नेतृत्व
शहर में दशहरा का
इतिहास काफी पुराना रहा है। दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। इसमें रामलीला मेला समिति के साथ-साथ राजपूत सरदार शमी पूजा के लिए निकलते हैं। जो काफी आकर्षक होता है। इस बार हाथी वाली हवेली से नए मुखिया अनिरुद्ध प्रताप सिंह पहली बार राजपूत सरदारों का नेतृत्व करेंगे। बता दें कि दशहरे पर शमी पूजा का बड़ा महत्व है।
बेतवा भूमि समाचार के संपादक तोरण सिंह शिल्पकार ने राजा साहब अनिरुद्ध प्रताप सिंह से की खास मुलाकात उन्होंने बताया कि हाथी वाली हवेली से निकलने वाले राजपूत सरदारों की यह परंपरा भी कई दशकों पुरानी है। दशहरे पर बालाजी भगवान की पालकी के भ्रमण के दौरान पूजा अर्चना से होती है। हवेली से जुड़े सदस्यों ने बताया कि दशहरे के दिन दिन सुबह बालाजी महाराज की पालकी शहर भ्रमण पर निकलती है। साल में चुनिंदा दिन ही ऐसे हैं, जब बालाजी महाराज भ्रमण पर निकलते हैं। दशहरे के दिन भी हवेली के सामने उनकी पालकी और उसमें विराजमान भगवान की मुखिया और उनका परिवार पूजा अर्चना करते हैं। इसके बाद देवी मां
दसवीं पीढ़ी के हैं राजा अनिरुद्ध प्रताप सिंह
हवेली से जुड़े परिवार के सदस्यों ने बताया कि वर्तमान मुखिया अनिरुद्ध प्रताप सिंह हाथी वाली हवेली में दसवीं पीढ़ी के राजा है। इसके पूर्व 10 पीढ़ियों का इतिहास देखा जाए तो विदिशा में हाथी वाली हवेली में यह परंपरा और यह पूरी प्रक्रिया राजा खुमार सिंह, हमीर सिंह, माधव सिंह, हरि सिंह, हरिनाथ सिंह, बैजनाथ सिंह और भगवान सिंह तक से चली आ रही है। भगवान सिंह का इसी साल 105 वर्ष की आयु में देहांत हुआ था। उसके पहले ही उन्होंने अपनी वसीयत में अनिरुद्ध प्रताप सिंह को राजा घोषित कर दिया था।
परंपरागत वेशभूषा और शस्त्र लेकर इस शमी पूजा के चल समारोह में शामिल होते हैं।
भगवान राम और रावण की भी पूजा की जाती है। हवेली में ही शस्त्र पूजा देवी मंदिर में र में की जाती है। वर्ष पुरानी परंपरा के अनुसार बलि भी दी जाती है। दोपहर के बाद मुखिया बालाजी महाराज की पालकी के साथ शमी पूजा के लिए निकलते हैं। जिसमें बालाजी महाराज राजा के रूप में और हवेली के मुखिया उनके सेनापति के रूप में आगे-आगे चलते हैं। फिर पूरे राजपूत सरदार अपनी
यह चल समारोह हाथी वाली हवेली किले अंदर से प्रारंभ होकर पेढ़ी चौराहा उसके बाद बड़ा बाजार, तिलक चौक, निकासा, माधवगंज, हॉस्पिटल रोड होते हुए दशहरा मैदान जैन कॉलेज में पहुंचते हैं। यहां मुखिया और राजपूत सरदारों द्वारा शमी पूजा की जाती है।