बेतवा भूमि न्यूज़ विदिशा श्री सत्यार्थी दीप उज्जवल करते हुए
बेतवा भूमि न्यूज़ विदिशा पत्रकारों के साथ भेंट
बचपन को याद करते हुए सुनाएं अनेक संस्मरण
आत्मकथा 'दियासलाई' पर विदिशा में हुई विशेष चर्चा
बेतवा भूमि न्यूज विदिशा, 05 अप्रैल नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित और बाल अधिकारों के लिए वैश्विक स्तर पर सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी आज अपनी जन्मभूमि विदिशा में विदिशा प्रेस क्लव संघ द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उनकी हाल ही में प्रकाशित आत्मकथा 'दियासलाई' पर आधारित एक सजीव संवाद हुआ, जिसमें विदिशा के पत्रकारों ने उनके जीवन के विभिन्न अनछुए पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।
लगभग एक घंटे से अधिक समय तक चले इस संवाद में कैलाश सत्यार्थी ने अपने संघर्ष, कार्यों और उपलब्धियों के पीछे की प्रेरणाओं को साझा किया। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि उनका नोबेल पुरस्कार मेडल अब उनके पास नहीं है, क्योंकि उन्होंने इसे देश को समर्पित कर दिया है। यह निर्णय उन्होंने यह मानकर लिया कि यह सम्मान केवल उनका नहीं, बल्कि उन लाखों बच्चों का है जिनके लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया है।
सत्यार्थी ने एक महत्वपूर्ण घटना साझा की जब पाकिस्तान में उनके जीवन को गंभीर खतरा हुआ था। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने न डरते हुए पाकिस्तान सरकार को बच्चों के हित में कानून बनाने के लिए बाध्य किया। यह घटना उनके अदम्य साहस और अडिग प्रतिबद्धता का उदाहरण बनी।
अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने पत्रकारों से 'संच्छद्वं संवदद्धवं' यानी सबको साथ लेकर चलो, सबको समान अवसर दो— इस मंत्र को जीवन और पत्रकारिता में अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता केवल खबर देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज के सबसे पिछड़े और हाशिए पर खड़े व्यक्ति की आवाज बनने का कार्य है।
कार्यक्रम का समापन एक आत्मीय वातावरण में हुआ, जहां संवाद किसी औपचारिक साक्षात्कार जैसा नहीं बल्कि एक परिवार के वरिष्ठ सदस्य से जीवन दर्शन और मार्गदर्शन प्राप्त करने जैसा अनुभव रहा।
यह आयोजन पत्रकारों और समाजसेवियों के लिए न केवल प्रेरणास्रोत रहा बल्कि एक नई सोच और ऊर्जा से परिपूर्ण रहा, जो निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाने का संदेश देता है।