पार्थिव देह अमलतास मेडिकल कॉलेज को सौंपी पार्थिव देह अमलतास मेडिकल कॉलेज को शोध कार्यों के लिए सौंपा
संत रामपाल की शिष्या का हुआ देहदान, 'गार्ड ऑफ ऑनर' देकर किया सम्मान
देवास। मानवता और सेवा की मिसाल पेश करते हुए संत रामपाल महाराज की शिष्या, बुजुर्ग महिला राधा बाई चौबे (उम्र 77 वर्ष) का सोमवार को उनके निवास देवीकुलम कॉलोनी में निधन हो गया। उन्होंने अपने जीवनकाल में देहदान का प्रण लिया था। उनके इस पवित्र संकल्प पर परिजनों ने पूरी श्रद्धा के साथ अमल किया और उनकी पार्थिव देह अमलतास मेडिकल कॉलेज, देवास को दान कर दी। बताया गया है कि यह देवास जिले में हुआ पहला देहदान है, जो शहर के लिए गर्व का विषय बन गया है।
राधा बाई चौबे को श्रद्धांजलि देते हुए एक अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला। बीएनपी थाना पुलिस ने दिवंगत आत्मा को 'गार्ड ऑफ ऑनर' देकर सम्मानित किया। राज्य शासन की हालिया घोषणा के तहत देहदान और अंगदान करने वालों को सम्मानित करने की पहल के अंतर्गत यह सम्मान दिया गया।
🙏 गुरुदेव संत रामपाल की शिक्षाओं से मिली प्रेरणा
मृतिका के पौते प्रशांत चौबे ने बताया कि उनके गुरुदेव संत रामपाल महाराज हैं, और परिवार के सभी सदस्य उनके अनुयायी हैं। प्रशांत चौबे ने कहा, "हमारे गुरुदेव समाज के लिए रक्त दान, अंगदान, देहदान और अंतर्जातीय विवाह जैसे कई प्रकल्प चला रहे हैं। उसी के तहत दादी की इच्छा पूरी करने के लिए देहदान की प्रक्रिया की गई।" परिवार के सदस्यों ने गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान मिलने पर संतोष व्यक्त किया।
राधा बाई का जीवन सादगी, भक्ति और समाजसेवा से भरा था। संत रामपाल की शिक्षाओं से प्रेरित होकर उन्होंने जीवन भर समाज की भलाई के कार्य किए। उनकी सोच थी कि शरीर तो एक दिन नष्ट होना ही है, यदि यह किसी के काम आ जाए तो इससे बड़ा पुण्य कोई नहीं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि उनके निधन के बाद किसी प्रकार की तामझाम या दिखावा न किया जाए, बल्कि उनकी देह मेडिकल छात्रों के अध्ययन के लिए दान कर दी जाए।
🔬 शोध कार्यों में होगा उपयोग
राधा बाई का पार्थिव शरीर अमलतास मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया है, जहां मेडिकल विद्यार्थियों की शिक्षा और शोध कार्यों में इसका उपयोग किया जाएगा। आसपास के रहवासियों और समाज के लोगों की मौजूदगी में उन्हें अंतिम विदाई दी गई।
✨ समाज को मिली नई दिशा
शहर के रहवासियों ने राधा बाई चौबे के इस कार्य को देवास शहर के लिए गर्व का विषय बताया। उनका मानना है कि इस प्रकार के कदम समाज को नई दिशा देते हैं। कई लोग अब उनके उदाहरण से प्रेरित होकर देहदान और नेत्रदान जैसे सामाजिक कार्यों में रुचि दिखा रहे हैं। सच्चे अर्थों में, राधा बाई चौबे ने अपने जीवन और मृत्यु दोनों को मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
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